Nag Panchami 2024
यह नाग पंचमी का त्यौहार है। Nag Panchami 2024
हिंदू कैलेंडर के अनुसार नाग देवता को समर्पित नाग पंचमी का त्योहार हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
नाग पंचमी पर, हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित सभी प्रकार के सांपों और विशेष रूप से भगवान शिव के गले में शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा के संबंध में एक कथा प्रचलित है।
भविष्य पुराण की कथा के अनुसार एक बार देवताओं और असुरों ने समुद्र मन्थन से चौदह रत्नों में उच्चै:श्रवा नामक अश्वरत्न प्राप्त किया था।
यह अश्व अत्यन्त श्वेत वर्ण का था। उसे देखकर नागमाता कद्रू तथा विमाता विनता- दोनों में अश्व के रंग के सम्बन्ध में वाद-विवाद हुआ।
कद्रू ने कहा कि अश्व के केश श्यामवर्ण के हैं। यदि उनका कथन असत्य सिद्ध हो जाए तो वह विनता की दासी बन जाएंगी अन्यथा विनता उनकी दासी बनेगी।
कद्रू ने अपने पुत्र नागों को बाल के समान सूक्ष्म बनाकर अश्व के शरीर चिपक जाने का निर्देश दिया, किन्तु नागों ने अपनी असमर्थता प्रकट की। इस पर क्रोधित होकर कद्रू ने नागों को शाप दिया कि ‘पांडवों के वंश में राजा जनमेजय जब सर्प-सत्र करेंगे, तब उस यज्ञ में तुम सभी अग्नि में भस्म हो जाओगे।’
नागमाता के शाप से भयभीत नागों ने वासुकि के नेतृत्व में ब्रह्मा जी से शाप निवृत्ति का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने निर्देश दिया कि यायावर वंश में उत्पन्न तपस्वी जरत्कारु तुम्हारे बहनोई होंगे। उनका पुत्र आस्तीक ही तुम्हारी रक्षा करेगा। ब्रह्माजी के इस वचन को सुनकर नागराज वासुकि आदि अतिशय प्रसन्न हो,उन्हें प्रणाम कर अपने लोक में आ गए।
द्वापर युग में,अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने और नाग वंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ किया क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था।
ब्रह्मा जी ने पंचमी तिथि को नागों को यह वरदान दिया था इसी तिथि पर आस्तीक मुनि ने नागों का परिरक्षण किया था और इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी।
उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा।
तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी। मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई।
ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का अहंकार तोड़ा था। अत: नाग पंचमी का यह व्रत ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
नाग पंचमी 2024: तिथि, शुभ मुहूर्त, अनुष्ठान, महत्व और बहुत कुछ
इस वर्ष नाग पंचमी 9 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।
पंचमी पूजा करने का आदर्श समय 9 अगस्त 2024 को सुबह 05:47 बजे से 2 घंटे 40 मिनट तक है।
इस सबसे आध्यात्मिक लाभ का लाभ उठाने के लिए, भक्तों से इस शुभ अवधि के दौरान अपने अनुष्ठान करने का आग्रह किया जाता है।
गुजरात में, त्योहार एक अलग दिन, नाग पंचम पर मनाया जाता है, जो 24 अगस्त 2024, शनिवार को होगा। रीति-रिवाज़ और परंपराएँ समान रहती हैं।
नाग पंचमी का महत्व
नाग पंचमी के दौरान, नाग पूजा की प्रथा पौराणिक कथाओं और प्राचीन प्रथाओं में निहित है। हिंदू धर्म में सांपों को मजबूत और दिव्य जानवरों के रूप में देखा जाता है, जो भगवान शिव और भगवान विष्णु जैसे विभिन्न देवताओं से जुड़े हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि वे बुराई से रक्षा करने और अच्छा भाग्य लाने में सक्षम हैं।
इसके अतिरिक्त, नाग पंचमी को प्रकृति और उसके प्राणियों के सम्मान और सम्मान के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह प्रत्येक जीवित प्राणी के अंतर्संबंध और सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व के महत्व का संकेत है।
इस शुभ दिन पर बारह नाग देवताओं की पूजा की जाती है, जिनमें पद्म, कंबला, कर्कोटक, अनंत, वासुकी, शेष, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगला शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक देवता हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और उनकी विशेष विशेषताओं और कहानियों के लिए उनका सम्मान किया जाता है।
नाग पंचमी: अनुष्ठान और परंपराएँ
नाग पंचमी नागों या नाग देवताओं की पूजा के लिए समर्पित है। इन देवताओं का सम्मान करने के लिए यह दिन विभिन्न अनुष्ठानों द्वारा मनाया जाता है, माना जाता है कि यह भक्तों के लिए सुरक्षा और समृद्धि लाता है। साँप की मूर्तियों या चित्रों पर दूध, मिठाइयाँ और फूल चढ़ाना, जो आम तौर पर चांदी, पत्थर या लकड़ी से बने होते हैं, प्राथमिक प्रथाओं में से एक है।
कई जिलों में जीवित कोबरा की भी पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। पूजा के दौरान भक्त विशेष मंत्रों का भी जाप करते हैं। नाग पंचमी पूजा मंत्र अद्वितीय महत्व रखता है क्योंकि यह नाग देवताओं से आशीर्वाद और सुरक्षा चाहता है। इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान मंत्र और उसके अर्थ के बिना अधूरे हैं।